Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 28 Nov, 2022 06:03 PM

गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री हिंदू है।
यमुनानगर(सुरेंद्र मेहता): गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री हिंदू है। ऐसे में देश को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं करना सेकुलर शासन तंत्र की लाचारी है। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 25 में जैन, बौद्ध,सिखों को हिंदू घोषित किया गया था, लेकिन आरक्षण में जैन बौद्ध सिखों ने अपने को अल्पसंख्यक हिंदू घोषित कर दिया। ऐसा ना करते तो आज जनसंख्या की दृष्टि से हिंदू विश्व में दूसरे स्थान पर होता। उन्होंने कहा कि हमें हिंदुत्व की तरफ कदम उठाना आवश्यक है।
RSS की सबसे बड़ी कमी अंधेरे में ढेला फेंकना है:स्वामी निश्चलानंद
बता दें कि स्वामी निश्चलानंद सरस्वती आज यमुनानगर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए आरएसएस के मोहन भागवत के बारे में कहा कि उनके शरीर में हिंदुओं का कोई चिन्ह मत ढूंढो। आरएसएस की सबसे बड़ी कमी अंधेरे में ढेला फेंकने के अलावा कोई परंपरागत ग्रंथ नहीं है। जिसे सरसंघचालक जहां चाहे उसे वहां ले जा सकता है।
निश्चलानंद ने कहा कि आरक्षण की बीमारी वीपी सिंह ने पैदा की थी
देश में आरक्षण को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की आलोचना करते हुए आरक्षण की बीमारी उन्होंने ही पैदा की थी। तब उन्होंने आरक्षण के पांच दोष बताते हुए कहा था कि इससे प्रतिभा और प्रगति की हानि होती है। साथ ही प्रतिशोध की भावना बढ़ती है। उन्होंने कहा कि जिस वीपी सिंह ने आरक्षण का कलंक लाया। उसी के परिवार वालों ने उन्हें पागल घोषित कर दिया था।
अंग्रेजों के बनाए गए कानून पर देश चलेगा तो परतंत्र ही रहेगा:निश्चलानंद
शंकराचार्य ने कहा कि धन की कमी से सिर्फ ब्राह्मण नहीं बल्कि क्षत्रिय, वैश्य भी गरीब हो सकता है। इसीलिए सनातन विद्या सबकी जीवका जन्म से सुरक्षित लाइन पर चलती है, जिससे सभी का भला हो सके। उन्होंने कहा कि संविधान अंग्रेजों का बनाया हुआ है उसके अनुसार चलेंगे तो देश परतंत्र बना रहेगा। संविधान में हमने अच्छाई नहीं बुराई का पालन करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत आज पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं है। इंग्लैंड की दास्तां भारत को प्राप्त है। अगर इंग्लैंड की रानी यहां आती है तो भारत का राष्ट्रपति उसके सामने कमजोर सिद्ध होता है।
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